Poetry

चेत नि आई

जाळि आंख्यौं क सारा,झुठ्ठा सौं क भरांेसा पंथ माया क हिटी, धारू गाडु रिटि-रिटि घुण्डी मुण्डी थिच्यै ग्याई, तौभि चेत नि आई सुन्नि मुन्नि जिदेरू न पर्वाण...
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