नि लगदू मन हे मां
यै निर्मोही बजार मां

निठुरी घरती स्वार्थी मनखी
अबंेडु समाज नी छ कीमत जीवन की
हे मां
यै निर्मोही बजार मां

दिखेण का छाळा मनखी मन का कजाळा
पित पक्यां जिकुड्यों जु जतगा उजाळा
हे मां
यै निर्मोही बजार मां

तितरू बासदू कखि न पोथलौं च्यंूच्याट
गोरू की घांडी बंसुळी न गदनौ स्यूंस्याट
हे मां
यै निर्मोही बजार मां

यख बसदा गुंगा बोळा कैमा लाण सुणौण
मन कि खैरी बिपदा कै मा बतौण दिखोण
हे मां
यै निर्मोही बजार मां

रूख सुखु खै ल्योंलू जनी हो जी ल्योंलू
बुबदाळ्येणु छौं यख ज्यूंदा ज्यूंदि मरि जांैलू
हे मां
यै निर्मोही बजार मां

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ओम बधाणी उत्तराखण्ड के एक सुप्रसिद्ध लोकगायक,कवि एवं साहित्यकार हैं। Om Badhani is a famous FolkSinger,Poet and author of Uttrakhand India.

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