उकाळि उंदार्यों हिटदा-हिटदा थकिगे होलु
जरा सि थौ खयाल
मिठ्ठु बांज कि जड़्यों कु पाणि पियाल
जरा सि थौ खयाल

जंकदु जोड़दू रई भोगी नि सकी
दौड़दु भागदु रई पौंछी नी कखी
कांगसौ क बुगचा बिसूण लयाल
जरा सि थौ खयाल

मनखि, माया, मन,सब रूप्यों म तोली
अणगाई नी गौं भै भयात भूली
खट्टी मिठ्ठी,सुर्याळी लयाल
जरा सि थौ खयाल

खड़ि उकाळ चड़ी दोफरौ घाम झेली
अस्यो पस्यो खैर्यों म त्वैन ज्वानि ठेलि
अब एैगे बुढापु धड़ेक हैंस्याल
जरा सि थौ खयाल

द्वी दिन द्वी घड़ी द्वी आखर छन बिच
बैदौण आलु जै दिन दैब, फेर कुछ भी नि छ
वै अजर अमर कु नौं जंप्याल, जरा सि थौ खयाल

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ओम बधाणी उत्तराखण्ड के एक सुप्रसिद्ध लोकगायक,कवि एवं साहित्यकार हैं। Om Badhani is a famous FolkSinger,Poet and author of Uttrakhand India.

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