बर्ष 1994 क अगस्त मैना कि बात छ पौड़ी बटी आरक्षण कु आन्दोलन अलग उत्तरख।ड राज्य क आन्दोलन क रूप म सुलगण लगी थौ,वे जमाना समाचार कु साधन बस अखबार हो।दा था मै वबारी एम्0 एस-सी0 कु छात्र छौ अर कला दर्पण नौ कि एक नाट्य स।स्था सि जुड़्यूँ थौ जु नाटक अर सा।स्कृतिक गतिविधि तक सीमित थै, अखबारु म आन्दोलन कि खबर पढि़क मेरु अर मेरा दगड़्यो। कु भि खून उमळन् लगी थौ हमुन भि आन्दोलन म सामिल होणा कु फैसला करी,हमारा कुछ दगड़्या ये फैसला सि सहमत नि था, ऊ।का हिसाब सि यु राजनैतिक आन्दोलन थौ अर हम सा।स्कृतिक दल,पर हमुन नि मानी अर आन्दोलन म ऐग्यो। हमारा दगड़्या हमारा साथी बड़ा भाई सुरेन्द्र बलोदी जी न स्वर्ग “सीढ़ी नुक्कड़” नाटक लिखी अर मै।न अप्ड़ू पैलू गीत/जनगीत

सुनो सुनो सब एक कहानी एक कहानी सदियो। पुरानी
हमने अपनी रक्षा चाही एक राजा एक कुर्सी बनाई
सोची थी अपनी भलाई पर अपनी ही सामत आयी
वक्त बीता लोकत।त्र आया चुना अपना नेता कुर्सी पर बिठाया
अब तो लाठी के बल पर ही राज काज सब चलता है
जोड़ तोड़ और मारकाट कुर्सी की खातिर करता है
स।विधान की देके दुहाई नित वो नए कानून बनाये
है गरीब लाचार बेचारा जाये लेकिन किधर तो जाये

ये जनगीत क साथ हमुन जन जागरण सुरु करी अर चैक मोहल्ला गौ।-गौ। म नुक्कड़ नाटक सुरु करिन अब त हमारा पिछाड़ी भी लोकल इ।टेलिजे।स पुलिस लग्गी थै कई बार मैतै। डराए भी गए कि तुमारी रिपोर्ट खराब जाणी छ भविष्य खराब ह्वै जालू तुम ये चक्कर म न पड़ा पर हमारू आन्दोलन कु तरीका लोकतान्त्रिक थौ त क्वी परेशानी नि ह्वै,पूरा पहाड़ अर मैदानु की चार उत्तरकाशी म भी आन्दोलन बिकराळ ह्वैगी छौ, राजनैतिक दल,कर्मचारी,महिला स।गठन,छात्र अर जन्ता सभी आन्दोलन म ऐग्य था सभी अपड़ा-अपड़ा ढ।ग सि अलग राज्य कि लड़ै लड़ना था, छोटा बड़ा नेतो। की सभा,धरना, अनसन, भासणु कि झमा झम बरखा जुड़ी। थै, मैक कि खै।चम खै।च अर जन्ता कु गुस्सा, हूटि।ग सब जोर पर थौ जन्ता भासण नि सुन्णु चाणी थै,यना म हमारा जनगीत जन्ता तै। बेळ्मौण कु सबसी सरल माध्यम बण्या, वे टैम लोकगायक नरे।द्र सि।ह नेगी उत्तरकाशी म सूचना विभाग म कार्यरत था मैन हि।दी क कै जनगीत कठ्ठा करिल्या था पर गढ़वाळी गीत एक द्वी ही था तब नेगी जी न ‘‘जाग जाग हे उत्तराख।डी’’ गीत लिखी अर मैन उ गीत सड्क्यो। म गायी ये गीत क बाद नेगी जी न ‘‘तेरा जुल्मु कु हिसाब’’, ‘‘बोला भै ब।धु तुमु तै। कनु उत्तराख।ड चहेणु छ’’, जना कई गीत लिखिन,मै ब्याखनी बेर नेगी क दगड़ा गीत कु अभ्यास करदू अर दिन म रैल्यु। म वू। गीतू तै। गा।दू उत्तरकाशी कि रैली अर झुलुसू कु नेतृत्व मेरा,राजीव तालवाड़,सुरेन्द्र बलोदी,गणेश बलोनी,दिनेश उप्पल,सुरक्षा रावत,धीरज रावत,राजेश जोशी,मोहन डबराल आदि दगड़्यो। क द्वारा हो।द,ु जनता हमारी बात सुणदि भि थै अर मा।णदी भी थै,एक दिन उत्तरकाशी म दिवाकर भट्ट जी कि रैली थै पूरा उत्तरकाशी क कोणा-कोणा बिटी लोग रामलीला मैदान म कठ्ठा था पुरु आजाद मैदान (रामलीला मैदान) जन्ता न भयुर्। थौ हम भी एक रैली क साथ आजाद मैदान पौछयुँ त जब म।च बिटी भ्वा। देखि त बस मु।ड अर मु।ड ही मु।ड था दिखेणा, उत्तरकाशी क सभी छोटा बड़ा नेता म।च पर था अर दिवाकर भट्ट जी क औ।ण म थोडी अबेर थै त नेतो।न भाषण देणा सुरु करियाल्या,घड़ेक त जन्ता न भाषण सुण्या पर फेर सि उबिग्य अर घ्याळु सुरु ह्वैगी, फेर सुरु ह्वै म।च पर ढुन्गौ। कि बरखा, त नेता पिछाड़ी ह्वैग्या अर मैतै म।च मति धक्ये दिनी ढ़ुन्गु कि बरखा क बिच हात म ख।जरी लिक जब मै म।च म पौ।छि त वी। भीड़ देखि डर क मारा मेरा खुटौ। कु थथरोट अर सुख्यु। गळु मैतै। आज भी याद औ।दु त थथरोट फूटी जा।दु, मैन जनु जनगीत गाणु सुरु करि वनी भीड़ सा।त ह्वैगी हमुन कुछ गीत गैन अर नाटक करी, कुछ देर म भट्ट जी भी ऐग्या रैली भी स।पन्न ह्वैगी पर वे दिन मेरु म।च कु डर पूरी तरह दूर ह्वैगी ।
अब हमुन तय करि कि हमू तै। यु जन जागरण अभियान दुरु दुरु तक फैलायु। चै।दु त तय ह्वै कि हम पूरा उत्तरकाशी जिला क गौ।-गौ। जैक नाटक अर जनगीत क माध्यम सि लोगु तै। अलग राज्य कु महत्व बतौला,पर वे दौरान मेरु एक्सीडे।ट ह्वैगी अर दैणा खुटा पर बडू घौ होण सि मेरु चळ्नु फिर्णु मुस्किल ह्वैगी पर गाण वाळु मैही थौ त अपड़ा राज पौण क जुनून क अगनै मै बिना खुटा अर चोट कि परवाह करि लचकै-लचकै बाट लगीग्या।े हमुन उत्तरकाशी क नाजिकु गौ। बिटी सुरु करि अर उत्तरकाशी जिला क आखरी गौ। आराकोट,टिकोची, ची।वा तक नुक्कड़ नाटक करिन ग।गा घाटी, दस्गी बणगा।व बडकोट रव।ै नौगाँव पुरोला मोरी नैटवाड़ हनोल त्यूणी आराकोट टिकोची अर यूँ इलाको। सि लाग्या। सभी गौ। मा हमुन जन जागरण अभियान चलायन् ये दौरान हम पैदल यात्रा करदा छा, क्वी गाड़ी अर ट्रक वाळु गाड़ी रोकी देन्दु त हा। गाड़ी क छत मति बैठी अर ट्रक क डालो। म बैठी जा।दा,जख हम नाटक करदा वे गा।ै क लोग हमू तै। खाणु खिलै दे।दा अर रात ह्वै जा।दी त सेणक जगा भी मिली जा।दी मैतै चळ्न म परेसानी थ,ै खुटु उगैगि थौ, घौ म इनफेक्सन बढिगे थौ, त घौ पर रूमाल बा।धि अर पै।ट कु एक बौ।ळु बटोळि लचकै-लचकै मैन व यात्रा कर कई जगा मेरी पीड़ा देखि लोगुन मै घुन्गु पर उठैक लिगियौ।, 15 दिनु कि व यात्रा आज भी मेरी आन्ख्यो। म ताजी छ,हमारू जोस अर समर्पण जन्ता कु प्रेम हमारा प्रति सम्मान अर राज्य लेण कु जूनून जब याद औ।दु त आज राज्य म गौ।-गौ। म राजनीति मनभेद, अपड़ी- अपड़ी झोळी भरणा कु खेल देखि बडू दुःख हो।दु ।
2 सितम्बर 1994 पौड़ी म एक विसाल छात्र रैली ह्वै मै अर गणेश बलोनी वी। रैली म गयो। पौड़ा म खुटा धर्ना की जगा नि छै 1 अक्तूबर 1994 उत्तरकाशी बिटी गाड़ी की गाड़ी भरिक आन्दोलनकारी दिल्ली क पैटीन त मै भी गाड़ी म बैठीग्यो। त कुछ बुजुर्ग आन्दोलनकारियो। न मै तै। भवा। उतारी दिनी कि तुम यखी रावा अर आन्दोलन जारी रक्खा त हमुन फैसला करी की हम जनगीत रैली क साथ समाचार बुलेटिन भी चलौला वबारी स।चार कु साधन लै।डलाइन फोन ही था त हमुन देरादून दिल्ली हरिद्वार सभी जगा अपड़ा दगड़्यो। क फोन नम्बर कठ्ठा करया अर उत्तरकाशी क हनुमान चैक पर जन्ता कठ्ठी करी समाचार बुलेटिन चलाया फिर 2 अक्टूबर कु जब मुजफ्फरनगर काण्ड की खबर आयी त हम सब सन्न था सभु कि आ।ख्यो। म आ।सु था ,लोग भौत गुस्सा म था उत्तरकाशी जना सा।त इलाका म सी0 आर0 पी0 एफ0 अर पी0 ए0 सी0 तैनात ह्वैगी छै वबारी सी0 आर0 पी0 एफ0 क उत्तरकाशी म तैनात जु कमा।डि।ग ओफ्फिसर था वू। तै। हमारू आन्दोलन कु तरीका भौत पस।द आयी वून हमुमा बोली थौ कि आप लोग राष्ट्रपति क नौ चिट्ठी लिखा मानव श्रृ।खला बणावा वे दौरान उत्तरकाशी क बस अड्डा म आन्दोलनकरीयो। पर फायरि।ग ह्वै एक भाई क हाथ पर लगी वी। भीड़ म मै भी बाळ-बाळ बच्यो।,वे दिन मौत भोत नाजिकू सि देखि
रैली नुक्कड़ नाटक क साथ एक विचार आयी कि य आन्दोलन की आग जगै रखणा क वास्ता प्रभात फेरी सुरु करे जाओ,त मैन अपड़ा दगड़्या गणेश बलोनी सि बात करी फिर हम द्वी राजीव तलवाड़, मोहन डबराल, दिनेश उप्पल, राजेश जोशी अर सुरक्षा रावत सि मिल्यो। अर 1 नवम्बर 1994 सुबेर 4 बजी बिटी हम 7 लोगुन प्रभातफेरी सुरु करी 7 लोगु सि सुरु हुई। ई। यात्रा म फेर हजारो। लोग जुड़्या, हमारी य प्रभात फेरी 101 दिनु तक बिना रुक्याँ चली मै अर राजीव तालवाड़ गीत गा।दा, गणेश बलोनी ढोलकी बजौ।दु सुरक्षा भाई हुड़की अर राजेश जोशी ख।जरी बाकी लोग गीत म हमारू साथ दे।दा मै तै। याद छ म।गसीर पूस मौ कि सि सुबेर हाड मा।स गळौण वाळी ठ।ड होन्दी थै गणेश वी। ठण्ड म ढोलकी बजो।दु थो वैका हाथु बटी खून चू।दु थौ अर ढोलकी की पूड़ खूनन् लाल र।दी थै हुई। पर घौ अर पिड़ा पर भी वैन कभी छुट्टी नि लिनि, मैतै। ठण्ड सि जुखाम लगी पर आन्दोलन क जोस म मैन ध्यान नि दिनी अर जुखाम बिगडि़गी जु बाद म क्रोनिक ह्वैगी छौ ज्या।का कारण मै तै। नाक कु ओपरेशन करौणु पड़ी यू। 101 दिनु तक मै।न कभी प्रभात फेरी नि छोड़ी हमारी य प्रभात फेरी भोत प्रसिद्द ह्वै, हमुन देहरादून, श्रीनगर, पौड़ी, पिथोरागढ आदि कै जगो। पर प्रभात फेरी करिन जब भी जख भी मौका लगि, ई। प्रभात फेरी म उत्तराख।ड क राजनेता साहित्यकार समाज सेवक कलाकार खिलाड़ी अर जन्ता जुडिन, मैन। ये दौरान करीब 100 सि जादा जनगीत कठ्ठा करिन, कुछ लेख्या कुछ कि धुन बणायी, हमारी ई। गतिविधि न आन्दोलन कि आग बुझण नि दिनी, आन्दोलन जारी थौ अर रैलि धरना थोड़ा कम ह्वैग्या था पर 1995 म भी हमारा नाटक जनगीत यात्रा मशाल झूलुस खता-खती चलणा रैन फेर 1996 क लोकसभा चुनाव ऐग्या आन्दोलनकारियो। न यू। चुनाव क विरोध कु निर्णय लिनि, चुनाव क दिन मै इन्द्रेश मैखुरी अर राजीव तलवाड़ भी चुनाव क विरोध म सामिल ह्वैग्या हमू तै। गिरफ्तार कर लिए गै हमारा गैल स्व0 लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल जी ,केदार सि।ह रावत ,महेश प।वार आदि उत्तरकाशी क कै साथी था चुनाव क दिन ब्याखनी बेर स्थानीय लोगुन हमारी जमानत दिनी अर हम रिहा हुयो। हमुन अपड़ी लड़ै जारी रखी फिर सुभाष रावत जी अर सभी दगड़्यो।न मिलिक एक पूर्णकालिक नाटक “बीस सौ बीस” तैयार करी जैमा उत्तराखण्ड राज्य बणणा क बाद कि तस्वीर कि कल्पना थै दुर्भाग्य सि व बुरी कल्पना आज सच हो।द दिखेणी छ
हमुन उत्तराखण्ड राज्य कि लडै अपड़ी सा।स्कृतिक पछाण बचैणक,पलायन रोकणक, अर विकास क वास्ता लड़ी थै पर ह्वै उल्टू ,पहाड़ खाली होणा छन, उत्तराख।ड कु एक-एक मनखी जु वे आन्दोलन म सामिल थौ अफुतै। ठग्यु। ठग्यु। सि सम्झ्णु छ राजनीति चुलो। म पौन्छिग,े गौ।े। खोळा खोळो। म बन्टेग्या, लोग अफु म हि खयेणा छन योजना अर घोषणा त भौत छन पर पिरथि पर दिखेणी नि छन, राज्य बण्न सि फैदा आम जन्ता छोडिक और सभ्भु कु ह्वै,सिधु साधु पहाड़ी अर पहाड़ पिछाड़ी धकेलेगी अर मैदान अर चकड़ेतु मौज

लडै लड़ी जन्ता न अर मौज पड़े वू।की
अनसन करी जन्ता न अर पोट्गी भरे वू।की
गौ।म मिली जौन जु सुख सुबिदा त किलै पलायन होलू
देरादून बिटी चलिन योजना डेळी पौ।छे उन्की वू।की
जख देखि गळ्खी तखी ढळ्की ख।क्ळ्यो मची। मारामार
पेट कि लड़ै जन्ता कि अर कुर्सी कि लडै़ वू।की
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……………………………………………………….वूँकी

सर्वाधिकार सुरक्षित© -. ओम बधाणी

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